जय श्री नाथ जी महाराज की जय

शिव गोरख नाथ
जय श्री नाथ जी महाराज
परम पूज्य संत श्री भानीनाथ जी महाराज, चूरु
परम पूज्य संत श्री अमृतनाथ जी महाराज, फ़तेहपुर
परम पूज्य संत श्री नवानाथ जी महाराज, बऊधाम(लक्ष्मनगढ़-शेखावाटी )
परम पूज्य संत श्री भोलानाथ जी महाराज, बऊधाम(लक्ष्मनगढ़-शेखावाटी )
परम पूज्य संत श्री रतिनाथ जी महाराज, बऊधाम(लक्ष्मनगढ़-शेखावाटी )

Monday, January 11, 2010

भारतीय इतिहास – झलकियाँ

  • निस्सन्देह भारत की सभ्यता विश्व के प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है।
  • सिन्धु घाटी में ईसा पूर्व 2300 से 1750 तक जगमगाते रहने वाली उच्च सभ्यता के अवशेष आज भी विद्यमान हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि ईसा पूर्व 2000 से 1500 के मध्य इन्डो-यूरोपियन भाषाई परिवार से सम्बन्ध रखने वाले आर्यों ने हिमालय के उत्तर-पश्चिम दर्रों से भारत में प्रवेश किया और सिन्धु घाटी की सभ्यता को नष्ट कर दिया।
  • वे आर्य सिन्धु घाटी एवं पंजाब में बस गये। कालान्तर में वे भारत के पूर्व तथा दक्षिण दिशाओं में स्थित स्थानों में फैल गये।
  • आर्यों ने ही भारतीय सभ्यता से संस्कृत भाषा तथा जाति प्रणाली का परिचय करवाया।
  • ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में उत्तर-भारत फारसी साम्राज्य का अंग बन गया।
  • ईसा पूर्व 326 में मेकेडोनिया के अलेक्जेंडर महान ने फारसियों राज्यों को विजित किया। यद्यपि मेकेडोनियन्स का नियन्त्रण अधिक समय तक नहीं रहा किन्तु उनके अल्पकाल के नियन्त्रण के फलस्वरूप भारत एवं भूमध्यरेखीय देशों के मध्य व्यापारिक सम्बंध अवश्य स्थापित हो गया। रोमन संसार भारत को एक मसालों, औषधियों और कपास के कपड़ों से परिपूर्ण देश के रूप में जानने लगा।
  • मेकेडोनियन शासनकाल के पश्चात् भारत पर मूल राजवंशों और सुदूर पहाड़ों पर बसने वाले जनजातियों का नियन्त्रण हो गया। मूल राजवंशों में मौर्य तथा गुप्त वँश सर्वाधिक प्रसिद्ध हुये।
  • मौर्य साम्राज्य प्रथम सम्राज्य था जिसने लगभग सम्पूर्ण भारत को एक शासन के नियन्त्रण में अधीन बनाया।
  • मौर्य साम्राज्य का काल ईसा पूर्व लगभग 324 से 185 तक रहा।
  • चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने शासनकाल, जो कि ईसा पूर्व लगभग 298 तक चला, में उत्तर-भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अधिकतम स्थानों को अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।
  • चन्द्रगुप्त के पुत्र बिन्दुसार और बिन्दुसार के पुत्र अशोक ने अपने साम्राज्य का विस्तार सुदूर दक्षिण भारत तक कर लिया।
  • पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) उनकी राजधानी थी।

वेदान्तिक काल

  • वेदान्त और उपनिषदों की रचना ईसा पूर्व सन् 800 से 400 के मध्य हुई। इस काल को वेदान्तिक काल कहा जाता है।
  • उल्लेखनीय है किस ड़स काल में सम्पूर्ण विश्व में अत्यन्त महत्वपूर्ण दर्शनशास्त्रीय परिवर्तन हुये।
  • ग्रीक के नये विद्वानों में सुकरात के नेतृत्व वाले दर्शनशास्त्री प्रमुख थै।
  • पर्सिया में जराथुस्त्र ने धर्म के अलौकिक तत्वों के निष्कर्ष पर एक नया विश्वास प्रतिपादित किया।
  • चीन में कनफ्यूसश ने नीतियों तथा अच्छे शासन के उपदेशों, जो कि बाद में चीन के प्रमुख वैचारिक आधार बन गये, में स्वयं को समर्पित कर दिया।
  • हिब्रू सन्तों एकेश्वरवादी धार्मिक परम्परा, जो कि ग्रीस, चीन, मेसोपोत्मिया और भारत के बहुईश्वरवादी परम्परा से बिल्कुल भिन्न थी, की स्थापना की।
  • यद्यपि इस काल में वेदों की प्रमुखता बनी रही किन्तु विचारकों की नई पीढ़ी ने जीवन के आलोकित पक्ष को ढूंढने का प्रयास किया।
  • भारत के ऋषियों द्वारा मानव के अस्तित्व पर दिये गये उपदेशों का संग्रह उपनिषद कहलाये।
  • सैकड़ों उपनिषदों की रचना हई किन्तु उनमें से कुछ ही अधिकारिक माने गये।

वेद

  • वेद हिन्दुओं के प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ हैं।
  • संस्कृत शब्द “वेद” का अर्थ है “ज्ञान”। “विद्” शब्द इसका मूल है।
  • प्राचीनकाल में वेदों को लिखने की प्रथा नहीं थी वरन उनमें निहित श्लोकों को गुरु से सुनकर शिष्य उन्हें याद रखा करते थे।
  • सर्वमान्य विश्वास के अनुसार वेदों की रचना ईसा पूर्व लगभग1500-500 में हुई थी।
  • वेदों की कुल संख्या चार है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद
  • वेदों को संहिता के नाम से भी जाना जाता है।
  • ऋग्वेद में 1,028 श्लोक हैं।
  • ऋग्वेद के श्लोकों का होत्रि ब्राह्मणों के द्वारा सस्वर पाठ किया जाता था।
  • वेद के श्लोकों में देवताओं की स्तुति की गई है।
  • देवताओं में युद्ध तथा ऋतओं के देवता इन्द्र का सर्वाधिक वर्णन पाया जाता है।
  • द्वितीय स्थान अग्नि देवता का है।

वैदिक काल

वैदिक काल भारतीय इतिहास का वह युग है जिसके दौरान हिन्दुओं के प्राचीनतम एवं पवित्र ग्रंथों, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद, की रचना की गई

वैदिक सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी तथा उत्तर-पश्चिमी भाग में केन्द्रित थी।

वैदिक काल के पूर्वार्ध में भारत के अनेकों प्राचीन राज्यों का प्रादुर्भाव हुआ और उसके उत्तरार्ध में महाजनपदों का उदय हुआ जिसे कि मौर्य सम्राटों ने आगे बढ़ाया। वैदिक काल भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल था जिसमें संस्कृत साहित्य एवं मध्ययुगीन राज्यों का सर्वाधिक विकास हुआ।

वैदिक काल को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता हैः

  • ऋग्वैदिक -ऋग्वेद वैदिक काल का प्राचीनतम ग्रंथ है जिसमें सर्वमान्य इंडो-ईरानियन तत्वों का समावेश पाया जाता है।
  • मंत्र भाषा -इस अन्तराल में अथर्वेद तथा यजुर्वेद के मंत्रों की रचना हुई। इन ग्रंथों में अधिकतर ऋग्वेद की ही पाठ्यसामग्री को लिया गया था किन्तु भाषा तथा व्याख्या में अनेकों परिवर्तन किये गये।
  • संहिता गद्य -इस काल में समस्त वैदिक रचनाओं को एकत्रित करके उन्हें सूचीबद्ध करने का काम हुआ।
  • ब्राह्मण गद्य -इस काल में ब्राह्मण ग्रंथों की रचना हुई।।

पूर्व वैदिक काल

  • सिन्धु घाटी की सभ्यता के धर्म के विषय में लिखित सामग्री नहीं होने के कारण पूर्व वैदिक युग के विषय में बहुत ही कम जाना जाता है।
  • तथापि अनुमान किया जाता है कि हड़प्पा परम्परा का एक भाग मध्य-पूर्व के प्राचीन धर्म को मानने वाले लोगों का था।
  • सिन्धु नदी के किनारे वाले स्थानों मे

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