जय श्री नाथ जी महाराज की जय

शिव गोरख नाथ
जय श्री नाथ जी महाराज
परम पूज्य संत श्री भानीनाथ जी महाराज, चूरु
परम पूज्य संत श्री अमृतनाथ जी महाराज, फ़तेहपुर
परम पूज्य संत श्री नवानाथ जी महाराज, बऊधाम(लक्ष्मनगढ़-शेखावाटी )
परम पूज्य संत श्री भोलानाथ जी महाराज, बऊधाम(लक्ष्मनगढ़-शेखावाटी )
परम पूज्य संत श्री रतिनाथ जी महाराज, बऊधाम(लक्ष्मनगढ़-शेखावाटी )

Monday, October 26, 2009

सच्चाई विष के समान क्यों लगती है

सच्चाई विष के समान क्यों लगती है
सच्चाई विष के समान ही लगती है लेकिन जो इस विष को अमृत के समान पी जाए वही शिव बन पाता है | सोना तपने के बाद कंचन बनता है संसारी लोग तो आग उगलेंगे ही जो उस ताप को सह लेता है वह कंचन की तरह निखर आता है इस विश्व में सभी व्यक्तियों का स्वभाव ऐक जैसा नहीं होता। सभी के हृदय में व्याप्त रुचियों भिन्न होती हैं। कोई वैराग्य धारण कर मोक्ष के लिये कार्य करता है तो कोई नीति शास्त्र के अनुसार अपने कार्य कर संतुष्ट होता है तो कोई श्रंगार रस में आनंद मग्न है। यह भेद तो प्राकृतिक रूप से बना ही है।

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